इन अनजान वादियों में,
मैं अदना सा आदमी,
छोटे – छोटे मेरे सपने,
छोटा सा घर मेरा यहाँ,
छोटा सा उपवन मेरा,
छोटी सी तितलियाँ,
मंडराती, छोटे-छोटे फूलों पर ।
कहीं बैठी है, छोटी सी,
प्यारी, साँवले सपनें संजोए,
बुनती रंगीन गलिचे,
उस गाँव के साये में,
गाँव की भाषा में गाती ।
पर ऐसा लगता है,
बगल से गुनगुनाती,
हँसती, बस चली जाती ।
कहती हवाओं से,
पगली, दिशाओं से,
मन्नतें माँगती,
बस दुआ करती,
भुलने के लिए याद करती ।
यहाँ मिलती उसकी,
देह की एक खुशबू,
इन्हीं वादियों में,
पता नहीं, कैसे आती ।
hello.
it really very good poems……
i also write poems but cnan’t write blog in hindi can u can me for this.
hemjyotsana.wordpress.com
Thanks
and good wishes 4 ur future and life…..
सर जी हिन्दी में ब्लोग लिखना सीख लिया हमने 🙂
और आज अपनी इस comment को भी ढूँढ लिया ।
एक साल चार दिन होगये इसे ।
वैसे thanks sir jee
सादर
हेम
Is this really a dream or reality……….
Beautiful. Full of love and passion.