Again…

History has a very peculiar tendency. It repeats. After reading this I could not resist to post it from Ashutosh’s blog, when his brother left him….

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जानता हुं, तु अब कभी नही उठेगा,
शायद मेरे लात मारने से भी नही,
शायद यही सोच,
अभी जब तेरी चिता को आग दी जा रही है,
मेरे आंसु, उस आग को बुझा ना दे,
मुझे तेरी आखिरी दर्शन से भी वंचित कर दिया गया है,
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