अफ़साना

बड़ी अजीब सी है जिंदगी,
कल कहाँ थे, आज कहाँ हम ।
सदियाँ बीते हैं -जैसे कई पल,
बस खा़मख्वाह मैं सोचा करता ।

अफ़सानों की अपनी चाल है,
पैमाना छलका है, फिर आज,
कैसे करूँ जिंदगी से मैं गिला,
बदस्तुर जारी था, यह सिलसिला ।

तसवीर बदली है, बदला है जहाँ,
तकदीर बदली है, चमन बदल गया,
अब भी न है, जिंदगी से गिला,
बस जीने का पैमाना बदल गया ।