आज फिर तुमने कह दी,
बिना सोचे, बिना समझे ।
मुझे थोड़ा जाने, अनजाने ।
भींग गयी मेरी पुतलियाँ,
पर न थे कोई आँसु ।
भींग गया मेरा दिल ।
कुछ पंक्तियाँ, अपनापन लिए।
बिना पहचाने कि मैं कौन,
या खुब पहचाने मुझे ।
वर्षों पहले सुनता था,
ऐसी ही कुछ पंक्तियाँ,
मेरी नगण्य शक्ति पर।
बस आज तक वही ,
सच होती गयी ।
पता नहीं क्यों,
उसके बिना रहता ,
मै एक अकिंचन ।
मैं ढुंढ रहा था,
काफी दिनों सें,
कुछ ऐसे ही शब्द ।
आज फिर तुमने कह दी,
दुहरा दी वही बातें ।
थोड़ा हँसकर,
मेरी नादानी पर,
मोती से तेरे दाँत ।
थोड़ा गर्वित,
मेरे कारनामों पर,
होंठ कह गये कुछ पंक्तियाँ,
बस समझाकर ।
मैं उतावला नही दिखता,
पर सच पुछो तो – हूँ ।
पर लगता है फिर आज,
चुपके धड़कता है दिल मेरा ।
सच होंगी तेरी पंक्तियाँ,
सच होंगे मेरे सपने,
तु है फिर मेरी प्रेरणा ।
मैं उतावला नही दिखता,
पर सच पुछो तो – हूँ ।
पर लगता है फिर आज,
चुपके धड़कता है दिल मेरा ।
सच होंगी तेरी पंक्तियाँ,
सच होंगे मेरे सपने,
तु है फिर मेरी प्रेरणा ।
hummmmmm
who is this Prerana
kavita acchi hai 🙂
@ Juneli,
She is my unknown ‘Prerana’. Once I know, I will let you know :D.
Thanks for your appreciations 🙂
आज फिर तुमने कह दी,
बिना सोचे, बिना समझे ।
मुझे थोड़ा जाने, अनजाने ।
भींग गयी मेरी पुतलियाँ,
पर न थे कोई आँसु ।
भींग गया मेरा दिल ।
कुछ पंक्तियाँ, अपनापन लिए।
बिना पहचाने कि मैं कौन,
या खुब पहचाने मुझे ।
वर्षों पहले सुनता था,
ऐसी ही कुछ पंक्तियाँ,
मेरी नगण्य शक्ति पर।
बस आज तक वही ,
सच होती गयी ।
पता नहीं क्यों,
उसके बिना रहता ,
मै एक अकिंचन ।
मैं ढुंढ रहा था,
काफी दिनों सें,
कुछ ऐसे ही शब्द ।
आज फिर तुमने कह दी,
दुहरा दी वही बातें ।
थोड़ा हँसकर,
मेरी नादानी पर,
मोती से तेरे दाँत ।
थोड़ा गर्वित,
मेरे कारनामों पर,
होंठ कह गये कुछ पंक्तियाँ,
बस समझाकर ।
मैं उतावला नही दिखता,
पर सच पुछो तो – हूँ ।
पर लगता है फिर आज,
चुपके धड़कता है दिल मेरा ।
सच होंगी तेरी पंक्तियाँ,
सच होंगे मेरे सपने,
तु है फिर मेरी प्रेरणा ।
कल 20/09/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
खूबसूरत अभिव्यक्ति