कुछ होंठ मुस्काते हैं,
थिरकते हैं कुछ बातें,
बातों में मिसरी घोल,
कहते हैं,कुछ अनमोल ।
रिश्तों-नातों से परे,
बिना कोई बंधन के,
बिना वादे-फरियाद के,
प्रीत का बस एक डोर ।
यूँ ही न आती है यह,
तपना पड़ता है उन्हें,
तपिश जीवन सहकर,
परहित में अब जीते हैं ।
छोड़ जाते है अमिट,
एक स्फुर्त मुस्कान ।
सम्मोहित मानवमन को,
उनका स्मरण भी काफी है ।
Could not read the poem…. 🙁
I had posted a story “Sargam” 🙂
Come and read
Kahani uss raat kee…
A small piece in Hindi.. please come and read and suggest 🙂
again 🙂
New post in something different way…. 🙂
Uss Raat ki Kahani ne auk kya Gul khilaya…. Come and read…. at
http://journeywithfeelings.rediffblogs.com